विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस के उपलक्ष्य में अनोखी मानव सेवा समिति के तत्वाधान में अनोखी कार्यशाला “गीली मिट्टी” का आयोजन किया गया l जिसका उद्देश्य बच्चो व बड़ो को मिट्टी की महत्वता, मिट्टी में क्यों खेलना, पर्यावरण क्या है और इसको क्यों बचाना चाहिए l शोध कहते है कि मिट्टी से खेलने से शरीर की बिमारियों से लड़ने की क्षमता बढती है l आज के इस युग में मोबाइल और कम्प्यूटर की वजह से हम हमारी पुरानी परम्पराओ को भूलते भी जा रहे है व प्रकृति से बच्चों का जुडाव कम होता जा रहा है l इस एक दिवसीय कार्यशाला में विभिन्न गतिविधि करवाई गई l कार्यशाला की संयोजक डॉ अनुरेखा ने बताया कि इसमे सबसे पहले पर्यावरण को लेकर विचार रखे गये फिर सीड बाल्स(मिट्टी की गेंद) बीजो को लेकर बनाई गई व उसको सुखाकर बाद में यात्रा के दौरान खाली जगह परा फेका जायेगा l और मिट्टी की विभिन्न कलाकृति जैसे कि गणेशजी, चिड़िया बनाई गई और फिर पारम्परिक नृत्य कराया गया l डॉ उर्मिला तोमर , प्रीती बागडी, डॉ मनीषा मेहता , गुडीया सोनी , पंकज यादव , दीपेश भटनागर , जे. पी. चौहान और बच्चे उपस्थित थेl बच्चो ने अनोखी फार्मस पर पर्यावरण संबधित जानकारी के साथ मिट्टी के साथ खेल कर प्रकृति का आनन्द लिया l