साधना फ़ॉरेस्ट के नाम में ही उसका अर्थ छिपा हुआ हैं I जो की एक कड़ी साधना के बाद में बना हैं और यहाँ पर लोग साधना करने के लिए भी आते हैं I सबसे पहले में ये बताना चाहती हु की इजराइल के दम्पति अविराम रोजिन और उनकी पत्नी योरित ने भारत में चेतन मन और दिमाग के साथ दीर्घकालीन जीवनयापन को लेकर 70 एकड़ बंजर भूमि पर बिगत 14 साल में सतत सेवको की सहायता से साधना फ़ॉरेस्ट बनाया है I साधना फ़ॉरेस्ट पोंडिचेरी से 7 की.मी. दूर ओरेविल्ली के अन्दर हैं I हम भारत में होकर भी ये सोच नहीं पाये और उन्होंने कड़ी मेहनत करके 70 एकड़ धरती पर पानी के स्तर बढाने के लिए जंगल बनाया हैं जहा हम विकास को लेकर जंगल काट रहे हैं, कंक्रीट के घर बना रहे हैं, और नदी पर बाँध बना कर प्रकृति को नष्ट कर रहे हैं I भविष्य में अपने बच्चो के लिए पैसा जमा कर रहे हैं पर शुद्ध हवा, पानी और सनलाइट , पर्यावरण के बारे में नहीं सोच रहे हैं I इस समय मेरा मन उन दोनों को दिल से सलाम करता हैं कि बाहर के होकर उन्होंने भारत में जंगल विकसित किया हैं वो भी बंजर भूमि पर कितना कठिन काम हैं I इस लेख के माध्यम से में वहा की दिनचर्या ,साधना और स्थान के बारे में बताना चाहती हु I
घास व बम्बू की झोपडिया:- करीब उस जंगल के केन्द्रीय स्थान पर थोड़ी दुरी पर 22 झोपडिया बनी हुई हैं I वह सभी बॉस व् घास की बनी हुई हैं यहाँ पर कही पर भी प्लास्टिक व् सीमेंट का उपयोग नहीं किया गया हैं I झोपड़ियो का आर्किटेक्ट देखने लायक हैं I हवा और भरपूर प्रकाश को ध्यान में रख कर डिजाईन किया गया हैं I जो लोग 40 साल के ऊपर के आते हैं उनके लिए पर्सनल झोपडी हैं और कुछ बड़ी-बड़ी झोपडी जिसमे की एक साथ 50 लोग रह सकते हैं वो भी 2-2 मंजिल की हैं I जो निचे मंजिल हैं उसमे सोने के लिये लकड़ी की व रस्सी की झोपडी होती हैं साथ में मछर दानी लगी हुई होती हैं I कुछ बड़ी झोपडी जेसे की लाइब्रेरी , किचन ,स्टोर व मैडिटेशन झोपडी और केन्द्रीय झोपडी (मेन हट) जिसमे लंच , डिनर और ब्रेकफास्ट किया जाता है व सभी एक्टिविटीज इसी में होती हैं जो की ऑफिस व फ़ोन चार्जिंग, मीटिंग्स , इन्टरनेट जोन के लिए बनाई गई है I सभी लोग यहाँ पर एक साथ वर्कशॉप करते हैं व साथ में ब्रेकफास्ट , लंच एन्जॉय करते हैं I कोई भी अनाउन्समेंट और इनफार्मेशन भी यही पर शेयर की जाती हैं सभी हट्स का आर्किटेक्ट देखने लायक हैं I
किचन – यहाँ पर दूध को भी नॉन वेज माना जाता हैं I यहाँ ओरगेनिक रॉ फ़ूड आता हैं कम से कम तेल में और कम मसाले में साथ ही फ्रूट और वेजिटेबल जादा मात्रा में सर्व किया जाता हैं I
ब्रेकफास्ट , लंच और डिनर के लिए भी सेवक अपनी इच्छा से जिम्मेदारी लेते हैं जिसकी भी लिस्ट मैंन हट में लगा दी जाती हैं अलग-अलग देश के सेवक अपने मन से ये ड्यूटी लेते हैं व टीम बना कर भोजन बनाते हैं I जिससे आपको हर देश का खाना खाने को मिलता हैं बहुत ही सफाई के साथ सिगड़ी पर व चूल्हे पर खाना बनाया जाता हैं और सभी को बड़े सभ्य तरीके से और सफाई के साथ भोजन सर्व किया जाता हैं I यहाँ लकड़ी भी अलग तरीके से सेवको द्वारा काटी जाती हैं I जब कोई भी मेहनत करके खाना खाता हैं तो उसका स्वाद कई गुना बढ़ जाता हैं I यहाँ खाने के पहले भरपूर मेहनत करवाई जाती हैं I
प्रकाश :- यहाँ पर इलेक्ट्रिक लाइट को उपयोग में नहीं लाइ जाती हैं सिर्फ सोलर लाइट का ही उपयोग किया जाता हैं और इसका समय भी तय रहता हैं ये सिर्फ शाम को 6 बजे बाद वो भी मुख्य झोपडी में होती हैं बाकी सभी जगह अँधेरा होता हैं I आपको अपनी टौर्च के सहारे ही सारे काम करना होते हैं I
फ़ोन चार्जिंग:- फ़ोन चार्जिंग का भी समय भी तय हैं दिन में 12 बजे से 5 वो भी सोलर लाइट की मदद से I वहा कई बार साइकिल की मदद से बिजली को पैदा किया जाता हैं जिससे की ग्राइंडर जेसी मशीनों को चलाया जा सके I
इंटरनेट:- यहाँ कही भी वाई-फाई जोन नहीं हैं क्योंकि रेडिएशन शरीर को व प्रकृति को नुकसान करती हैं इसलिए मैंन हट में छोटा सा वाई-फाई जोन इंटरनेट सर्फिंग के लिए बनाया गया हैं I (यहाँ कही दर्पण भी नहीं लगाया गया हैं I सिर्फ मैंन हट के ऑफिस में ही लगा हुआ हैं I वहा रहने वाला व्यक्ति प्रकृति के साथ व फिसिकल एक्टिविटी के साथ इतना घुल मिल जाता हैं की उसे अपनी शक्ल देखने की भी इच्छा नहीं होती I एक तरह से वैराग्य की भावना आती हैं जेसे की हम मंदिर में सोचते हैं वही एहसास हमे साधना फ़ॉरेस्ट में आता हैं I
बर्तन साफ़ करना:- रसोई के सभी बर्तन रसोई के टीम के सदस्य साफ़ करते है व रसोई की भी सफाई करते हैं I सभी बर्तन राख से साफ़ किये जाते हैं I वहा पर कोई भी रसायन उपयोग नहीं किया जाता हैं I सभी लोग वहा भोजन करके अपनी प्लेट खुद ही साफ़ करते हैं I साफ़ करने से पहले उसका कचरा अलग बर्तन जेसे गाये के खाने के बर्तन को खाद बनाने के कम्पोस्ट वाले बर्तन में डाला जाता हैं और जो दोनों काम नहीं आता हैं उसको भी अलग किया जाता हैं फिर बर्तन को राख से साफ़ करके पानी से अलग अलग बर्तन में डूबा कर धोया जाता हैं I इससे पानी की बचत होती हैं इसके लिए नल भी नही लगया गया हैं पानी को बचाने के लिए पूरा ध्यान रखा जाता हैं I
हाथ धोना :- हाथ धोने के लिए भी नल का उपयोग प्रतिबंधित हैं एक कोठी में पानी भर कर रखा जाता हैं उसमे मग होता हैं और एक मग को छेद करके डंडे से स्टैंड पर टांग दिया जाता हैं I और छेद वाली मग से छेद वाले मग में भर दिया जाता हैं और छेद वाले मग की धार से हाथ व पैर को धोया जाता हैं I
नहाना :- नहाने के लिए रहने की झोपडी से दूर नहाने के लिए ब्लाक बने हैं वह पर बाल्टी से पानी भर कर लाया जाता हैं साबुन का उपयोग नहीं किया जाता हैं ताकि कोई भी रसायन उस जगह को व पोधो को हानि ना पहुचाये साबुन वही से दिया जाता हैं जो की रसायन मुक्त होता हैं I
कम्पोस्टिंग :- वहा का कचरा खाने का हो या जंगल का उससे खाद बनाया जाता हैं जंगल में सेवको द्वारा गड्डा एक स्पेसिफिक साइज़ का खोदा जाता हैं व कचरे की परत बना कर साथ में मिटटी दाल कर उसको भर कर रखा जाता हैं व खाद बनाते हैं I
पखाना / पेशाब पर प्रयोग :- टॉयलेट में मूत्र के लिए अलग-अलग पोट होता हैं उसमे मूत्र को एकत्रित किया जाता हैं व जंगल में पेड़ो पर डाला जाता हैं जो की नाइट्रोजन प्लांट को देता हैं I वहा पर मूत्र को मल के पोट में नहीं भर सकते हैं उसके लिए एक अलग पोट होता हैं उसी तरह लेट्रिन के लिए अलग होल होता हैं उसमे मूत्र नहीं कर सकते हैं लेट्रिन करने में सा-डस्ट का उपयोग होता हैं I लेट्रिन में जाने के बाद सा-डस्ट डालना होता हैं व वाश के लिए अलग पोट पर जाना होता हैं मल के साथ मूत्र को मिक्स नहीं होने दिया जाता हैं मल को भी साफ़ डस्ट के साथ मिलाकर रख कर जब मात्रा में एकत्रित हो जाता हैं तो उसको धुप में सुखाने के लिए देते हैं और व खाद बन जाता हैं और वहा पर पू और पी पर बहुत प्रयोग होता हैं जंगल में कही भी फ़ूड के पेड़ नहीं हैं क्यूंकि फ़ूड के प्लांट जादा पानी मांगते हैं सभी जंगली पेड़ हैं I मानव पेशाब व मल से भी खाद बनाकर उसे जंगल के पेड़ो के लिए उपयोग में लाया जाता हैं I
मड बाथ :- एक बड़ा तालाब मड से नहाने के लिए बनाया गया हैं वहा पर सभी वोलिन्टर इसमें नहाते हैं व आस पास की कम्युनिटी के बच्चे यहाँ पर नहाते हैं I
टायर का गार्डन :- बच्चो के खेलने के लिए वेस्ट टायर का गार्डन बना हुआ हैं जिससे हाथी , झुला ,सीडिया ,ड्रैगन बेठने के लिए बनाया गया हैं I
मोर्निंग सर्किल :- सुबह 5 बजे एक व्यक्ति चलकर म्यूजिक से अलार्म बजता हैं सबको उठकर फ्रेश होकर एक मैदान में एकत्रित होना होता हैं I वहा पर मोर्निंग की स्ट्रेचिंग और एक दुसरे से गले मिलना होता हैं फिर सेवा का पूछा जाता हैं किसको कोनसी सेवा करनी हैं I सेवा जेसे की ब्रेकफास्ट बनाना , डिनर बनाना , लंच बनाना , कैंपस में पानी भरना , कैंपस की सफाई , कम्पोस्ट के लिए गड्डे खोदना ,लकड़ी काटना , पोधे लगाना , इसको तीन भागो में बाट कर सुबह 6-8:30 की सेवा फिर नाश्ता करना Iनाश्ते के बाद फिर सेवा और फिर स्वादिष्ट लंच और इसके बाद जिसे सेवा करनी है वो और सेवा कर सकता हैं सेवक अपनी पसंद से सेवा चयन करता हैं व ग्रुप बना कर काम करता हैं I
विदेशी लोग अपनी सेवा देने बहुत आते हैं शाम को कल्चरल इवनिंग होती हैं अलग अलग दिन अलग I कभी कभी टैलेंट शो , शेयरिंग सर्किल , मूवीज शो होता हैं सप्ताह के दो दिन शनिवार और रविवार सेवा से छुट्टी होती हैं Iयहाँ पर साइकिल व लूना किराये पर मिलती हैं जिसे लेकर ऐरोविल पास में हे जिसपे जाया जा सकता हैं I
बेस्ट आउट ऑफ़ वेस्ट सेंटर:- बेस्ट आउट ऑफ़ वेस्ट वाले काम के लिए भी एक सेंटर हैं जहा पर सभी वर्क मटेरियल रखा होता हैं जिस किसी भी सेवक को कुछ बनाने का मन हो तो वो सेवा के समय को छोड़कर बना सकते हैं I
पुस्तकालय :- यहाँ बहुत बड़ी एक हट है जिसमे पुस्तकालय हैं और गिफ्ट कल्चर की सिस्टम से बहुत सा सामान जेसे की कपडे ,वूलेन ,चप्पल भी हैं कोई भी कपडे ले सकता हैं व कोई भी अपना सामान उस जगह पे रख कर आ सकता हैं I पुस्तकालय भी लोगो ने गिफ्ट से ही बनाया हैं कोई भी किताब वह पढने के बाद लाइब्रेरी में छोड़ कर आ सकता हैं I
सभी लोग पहले तो अनजान होते हैं पर थोड़ी सी ही देर में एक दुसरे से मिक्स होजाते हैं व मिल कर काम करते हैं 40 से ऊपर उम्र वाले के लिए सेवा अनिवार्य नहीं हैं पर इससे कम उम्र वालो क लिए सेवा जरुरी हैं I जो भी वहा आता हैं वह प्रकृति के बिच में मस्त होजाता हैं फिजिकल एक्टिविटी करने के बाद अच्छी नींद , अच्छी भूख न्यूट्रीशियन फ़ूड , शुद्ध पानी , हवा व्यक्ति को स्वस्थ व स्फूर्तिदायक बनाती हैं I यह बेहद ही सुन्दर जगह हैं I
पोधे को लगाना :- जंगल के पेड़ भी जमीं पर अलग तरीके से लगाये हैं 70 एकड़ की जमीं पर बंजर थी उस पर पेड़ लगाना व पानी डालना , चलाना इतना आसान नहीं था I पर बहुत से प्रयोग के बाद पोधे को 2 तरीके से लगाया जाता हैं पोधे भी गिफ्ट कल्चर से आते हैं दूर पानी केसे डाला जाये उसके लिए भी तकनीके हैं बिसलेरी की बोतल को पोधे के साथ पानी भर कर छेद करके रस्सी डाल कर रखा जाता हैं ताकि वो धीरे – धीरे पानी बोतल से निकलता हैं व पोधे को पानी मिलता हैं पहले वाले पोधे गड्डा खोद कर लगाये गए हैं वो प्लास्टिक की होलो कोठी को रख कर लगाया जाता हैं ताकि गड्डा भी न खोदना पड़े I
जो भी व्यक्ति वहा देखने आते हैं वो इस जगह की सेवा , सेवा भाव से करते हैं I उसी सेवा से आज वह जंगल फ़ैल चूका हैं आज आदमी जंगल काटने में लगा हैं ऐसे में अगर साधना फ़ॉरेस्ट में रहकर जो आ जायेगा तो निश्चित हे वह व्यक्ति की सोच में बदलाव लाता हैं I साधना फ़ॉरेस्ट में बीमारी ठीक हो जाती हैं I व्यक्ति स्वस्थ्य रहता है व पृथ्वी का पर्यावरण भी नहीं बिगड़ता हैं I
भारत में व भारत के बाहर इस तरह की कई जगह बन रही हैं I और आपको इनसे जुड़ने की व इसमें रहने की आवश्यकता हैं क्योंकि विकास की वजह से हमारी दिनचर्या में बहुत परिवर्तन हुआ हैं I प्रकृति हमसे दूर होती जा रही हैं शारीरिक क्रिया कम और हमारी आयु कम होती जा रही हैं अगर हमको अपनी आयु बढ़ाना है और स्वस्थ्य रखना है तो ऐसी जगहों पर रहना होगा I
डॉ. अनुरेखा जैन
( संस्थापक अनोखी केयर )