डॉ. अनुरेखा जैन ने चेताया -‘ ग्लोबल वार्मिंग बढ़ती जा रही, अगली पीढ़ी को ऑक्सीजन-पानी देने के लिए पौधे लगाकर पेड़ बनाना जरुरी

जैसा कि हम जानते हे हमारे जंगल नष्ट होते जा रहे हेI विकास की गति तेज हे उसके चलते पर्यावरण का नुकसान हो रहा हे और ग्लोबल वार्मिंग बढती जा रही हे I
सिर्फ छोटे मोटे प्रयास जो कि एन जी ओ, सामाजिक संस्थाओ द्वारा पोधे लगाये जाते हे शायद उससे हमारा नुकसान पूरा नही हो सकता हैI सरकार और जनता को कुछ निती बनाकर प्रयास करना होगा जेसे कि निजी खेतो पर छोटे ज॔गल लगाना I खेत के कोई भी कोने में 1000 से लेकर 5000 वर्ग फीट तक का मियावाकी जंगल लगाया जा सकता हे I किसानो को उनकी जमीन के हिसाब से विभाजित कर जंगल लगाने के लिये विवश करना चाहिये।जैसा कि मियावाकी जंगल, एक बार में 1000 वर्ग फीट में 300 पोधे लगाये जा सकते हे I खर्चा सिर्फ 3000 से 40000 तक आता हेI उसी तरह से शहरी क्षेत्रो के घरो में भी 100 वर्ग फीट के जंगल जिसमे 30 पेड़ो को लगाना जरुरी कर देना चाहिएIनये मकान के नक़्शे ही उसी तरह के पास हो तो शायद हम जल्दी ही अपने खोये हुए पर्यावरण को तेजी से वापस पा सकते हेI
किसानो को कई योजनाओ के तहत फायदा दिया जाता हे क्या मियावाकी जंगल 1000 वर्ग फीट के लिए उनको नही कहा जा सकता हे I या फिर व्यापारी वर्ग जिन्होंने भूमि खरीद कर भाव बढाने के लिए खाली रखी हुई है वो कुछ अगर फसल नही ले रहे हे तो उनको तो जंगल लगाने की तो जरुर कहा जाना चाहिए I
ऐसे ही शहरो व् गांवो में नए घर का डिजाईन किया जा रहा हे तो 1500 से 2000 वर्ग फीट की भूमि पर 100 वर्ग फीट का खुला भाग में मियावाकी जंगल लगाया जा सकता हे I
इस पद्धति से कम समय मे गहरे जगल लगाये जा सकते है और मानव को प्रकृति से जोडा जा सकता है।ईससे मृदा ,पानी और हवा की गुणवता बढती है।
हम हमारी खोती हुई पेड़ो की प्रजाति को भी संरक्षित रख सकते है।मियावाकी जंगल दो साल के बाद मे रखरखाव नही मांगते है और अपने आप सतत बढते है।कार्बन डाई आक्साइड को अवशोषित करते है ओर जमीन मे पानी का लेवल बढाते है।मृर्दा को कटाव से बचाते है।रसायन मुक्त होते है और पर्यावरण को बायोडायवरसीटी देते है।
ऐसे ही रूफ हार्वेस्टिंग को भी प्लान में लेना चाहिए साथ में कच्ची जमीन जहाँ से रिचार्जिंग के लिए बरसात का पानी जमीन में चला जाये को जरूरी करना चाहिये।
शायद मीनी जंगल लगाने से AC कम लगाने होंगेI AC सबसे ज्यादा जिम्मेदार हे ग्लोबल वार्मिंग के क्योंकि AC बाहर गर्म हवा फेंकते हे जिससे गर्मी बढती है I अगर सभी AC नही चलाये तो गर्मी नही बढेगी I
सोलर एनर्जी का ज्यादा से ज्यादा उपयोग होना चाहिएI चूँकि अभी थोडा महंगा है पर शायद हमे धीरे धीरे सभी को सस्ता मिलने लगे।
स्कूल कोलेज छात्रों को अगर 10 % मार्क्स साइकिल चलाने के मिलने लगे तो शायद हमारा पर्यावरण गाडी की गर्मी व प्रदूषण से बचेगाI
नई प्रस्तावित कालोनी में भी छोटे छोटे मिनी जंगल को डिजाईन किया जा सकता हेI आज जो बीमारी कोरोना महामारी को हम भुगत रहे है वो भी कहीं न कही हमारे धरती व प्राक्रतिक वस्तुओ के अधिक शोषण का परिणाम हे I
हर व्यक्ति को अपने आगे की पीढी के लिए इसी ढंग से सोचकर काम करना चाहिए व् सरकार को कुछ निती बनाना चाहिए जो कि एक बैलेंस हो I और अगर हम ये सब समझना चाहते हे तो प्रत्येक व्यक्ति को पर्यावरण के लिये संवेदनशील होना चाहिएI
आज की पीढी परोक्ष रूप से सिर्फ फायदा देखती हे पर कुछ व्यवस्थाये अपरोक्ष रूप से बहुत फायदा करती हैI शायद हम जंगल से परोक्ष रूप से सीधा फायदा नही ले सकते हे I पर अपरोक्ष रूप से ये कितने फायदेमंद है ये भी समझाना होगाI
छोटे छोटे काम करने के बजाय हमें पर्यावरण को बचाने के लिए हमें बड़े रूप में काम करने की जरुरत हेIयह हमने कर के भी देखा है और हम जल्दी अगर हमारा खोया हुआ पर्यावरण चाहते है और जो प्रक्रति से लिया है उसे वापस करना चाहते है तो अपने घर का 100 वर्ग फीट मे 30 जंगली पेड या खेत का छोटा सा यानि की 1000 वर्ग फीट मे एक बार मे ही 300 बडे छोटे पेड जगल की तरह लगाना याहिये।तब हम प्रकृति के प्रकोप से बच पायेगे।आज जो के समय मे oxygen की कमी आई है उसको प्राक्रतिक रूप से आने वाले समय के लिये जल्दी कुछ इन्ही तरह से पाया जा सकता है।
तो आओ मिलकर अपनी अगली पीढी को ग्लोबल वार्मिंग से बचाए और oxygen,पानी पाये।

लेखिका
डा.अनुरेखा जैन
संस्थापक
अनोखी मानव सेवा समिति
Prof.Jvwu
Social enterprenuer

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