मन मे एक सवाल है।
ये कोरोना कब जायेगा?
एक आशा है
प्रकृति के योग से
आप सभी के सहयोग से
इस धरा से ये भाग जायेगा।
अपना बीता कल वापिस नही आयेगा
अब नया परिवर्तन आयेगा
ये कोरोना विकास के सपनो वाली दुनिया को
जाते जाते कुछ नया सबक दे जायेगा।
कोरोना हमको कह रहा
कैसे है अब जीवन जीना
बहुत कीमती समय फालतू अब न खोना
समय असल मे है जीवन
वापस पलट के न आता।
कोरोना हमको कह रहा
दोह्र न कर इस सृष्टि से
वरना धरती से उठ जायेगा
शोषण कर धरती को ना छोडा
पर्यावरण को भी नष्ट किया
मन मलिन कर अपनो से ही
रिश्ते नातों को तोड दिया
अब गणित लगाते हो
ये कोरोना संकट है या महामारी
कोरोना कह रहा चीख चीख कर
हे मानव अब धीमे हो जा
जो काम घर पर व घर से होते
उनके लिए भी हम क्यो भागे जाते
कुछ तुझे अपना हुनर है सीखना
कि दो जून की रोटी के लिये
रिश्ते व घर को क्यो छोड़ना
और तो और हे मानव
इस भौतिकता की भागम भाग में
जो बीमरीया अमीरी की तुमने पाली
उसको भी तुझे दूर भागना है
नही तो इन को देखकर
मुझे तूझमे घर बनाना है।
भौतिकता को छोड
अब तू सेहत को सजोले
अच्छी सेहत ही सच्ची सम्पदा।
सही कहा है कि जान है तो जहान है
शुदध पर्यावरण और मजबूत समबन्धो के साथ
आओ इस धरती और जीवन को फिर से स्वर्ग बनाये
ये सिखाता कोरोना इस धरती से जायेगा
जायेगा ही जायेगा।
Written by
ANUREKHA JAIN
Anokhi care